दूसरों का दुख वे कभी नहीं देख सकते थे और आज बेटे उनकी ही आत्मा को मुक्ति नहीं दे रहे, क दूसरों का दुख वे कभी नहीं देख सकते थे और आज बेटे उनकी ही आत्मा को मुक्ति नहीं दे...
कहकर मैं माइक पर ही बिलख कर रो पड़ा था। कहकर मैं माइक पर ही बिलख कर रो पड़ा था।
अपनी आँखों से देखो मन चाहता है हे पिता। अपनी आँखों से देखो मन चाहता है हे पिता।
इसलिए वह आत्मा अब उस रहस्यमई लाइब्रेरी को छोड़कर चली गई और अब वह आत्मा वहां नहीं रहती इसलिए वह आत्मा अब उस रहस्यमई लाइब्रेरी को छोड़कर चली गई और अब वह आत्मा वहां नहीं...
उस निर्मल सन्नाटे को चीरती हुई एक मधम सी आवाज़ आई - मोटी, साली, कुतिया। उस निर्मल सन्नाटे को चीरती हुई एक मधम सी आवाज़ आई - मोटी, साली, कुतिया।
एक लम्बी सी राहत की मुस्कुराहट। उसका चाचा जो वापिस मिल गया था। एक लम्बी सी राहत की मुस्कुराहट। उसका चाचा जो वापिस मिल गया था।